इस साल स्वास्थ्य मंत्रालय की उपलब्धि रही आयुष्मान भारत योजना
सेहतराग टीम
साल खत्म होने को है और इसके साथ ही विभिन्न मंत्रालयों की उपलब्धियों और खामियों का लेखा जोखा भी तैयार होने लगा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के ऐसे लेखे जोखे पर नजर जाना भी स्वाभाविक है। दरअसल ये साल केंद्र सरकार के शायद इसी मंत्रालय के लिए सबसे खास रहा है। इससे पहले के दो सालों में नोटबंदी और जीएसटी के कारण सिर्फ वित्त मंत्रालय की ही चर्चा होती रही मगर इस वर्ष आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय पूरे साल चर्चा में रहा है। अगर ये कहें कि ये योजना स्वास्थ्य मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है तो गलत नहीं होगा।
मंत्रालय की दूसरी बड़ी उपलब्धि रही है 21 वर्ष के अंतराल पर एमबीबीएस पाठ्यक्रम में बदलाव। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रशासन में फेरबदल भी चर्चा के केंद्र में रहा मगर साल बीतते बीतते जॉनसन एंड जॉनसन के इंप्लांट का विवाद इस मंत्रालय की छवि को खराब कर गया क्योंकि कंपनी के साथ जो समझौता किया गया है वो न तो मरीजों को रास आया और न ही कंपनी इसपर सहमत दिखी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दागदार भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की, साथ ही नियामक इकाई को चलाने के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन किया। मंत्रालय ने चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए निकाय को बदलने संबंधी राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने का इंतजार किए बिना यह कदम उठाया।
भारतीय चिकित्सा परिषद के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इसी महीने एमबीबीएस के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसे शिक्षण सत्र 2019-20 से लागू किया जाएगा। भारत में सरोगेसी पर निगरानी रखने के लिए लोकसभा में सरोगेसी विधेयक पारित हुआ जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए उपलब्धि माना जा सकता है।
मंत्रालय ने देश में वहनीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आयुष्मान भारत कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके दो चरण है। पहला चरण आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है जिसका मकसद 10 करोड़ गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करना है। यह योजना 23 सितंबर को शुरू हुई थी और अभी तक देश भर के छह लाख से अधिक लोग इस योजना के तहत उपचार करा चुके हैं।
इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में कम से कम 1.5 लाख उप केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को 2022 तक स्वास्थ्य एवं ‘वेलनेस’ केन्द्रों में बदला जाएगा।
इन उपलब्धियों के बावजूद कुछ राज्यों में निपाह और जीका संक्रमण फैला जिसने स्वास्थ्य मंत्रालय को मुश्किल में डाल दिया। इसके अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई जिसमें टाइप-2 पोलियो का विषाणु पाया गया।
मामला सामने आने के बाद मंत्रालय ने एक खास दवा निर्माता की दवाएं तत्काल वापस ले ली तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम भी उठाए।
लंबे समय बाद सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं के ‘विजिट चार्ज’ को 250 रुपये से बढ़ा कर 300 रुपए करने की घोषणा की। इस कदम से उन्हें हर महीने पांच हजार रुपये के स्थान पर करीब छह हजार रुपये मिल सकेंगे।
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